हमारे व्यक्तित्व की पहचान है। हालाँकि व्यक्तित्व के आधार पर हम हस्ताक्षर को बहुत सी श्रेणी में विभाजित कर सकते हैं लेकिन मैं पाठकों को सरलता से समझ में आ जाने वाली श्रेणियों के बारे में ही बताऊंगा। मोटे तौर पर हम हस्ताक्षरों को दो तरह से विभाजित कर सकते हैं। एक हस्ताक्षर वह जो समझ में आ जाए और दूसरा हस्ताक्षर वह जो समझ में नहीं आये। समझ में आने वाले हस्ताक्षर वह है जिनको देख कर हम हस्ताक्षर करने वाले का नाम आसानी से बता सकते हैं। संपर्क करें ज्योतिस सत्यनारायण जांगिड़
उदाहरण के लिए डॉ. बी आर आम्बेडकर के हस्ताक्षर देखें। दूसरी श्रेणी उन हस्ताक्षरों की है जिसके आधार पर आप किसी भी स्थिति में हस्ताक्षर करने वाले का नाम नहीं बता सकते हैं। पहली श्रेणी के लोग बहुत सुलझे हुए होते हैं। इनका जीवन एक खुली किताब की तरह होता है जिसे कोई भी पढ़ सकता है। दूसरी श्रेणी के हस्ताक्षर वाले लोगों को खुद पता नहीं होता कि वे भविष्य में क्या करेंगे। इनके जीवन में उलझनें हमेशा बनी रहती है। दूसरी श्रेणी के हस्ताक्षर यानि वे हस्ताक्षर जो आसानी से समझ में नहीं आते हों, ऐसे लोग जीवन में कोई उपलब्धि हासिल नहीं कर सकते हैं। इन लोगों का बैकराउंड यदि सुदृढ़ है तो इनका जीवन अच्छी तरह से व्यतीत हो जाता है लेकिन माता-पिता की तरफ से कुछ संपत्ति वगैरह नहीं मिले तो फिर इनका भगवान ही मालिक है। इसलिए यदि आपको जीवन में उन्नति के शिखर को छूना है तो आपको अपने हस्ताक्षरों में आमूलचूल बदलाव अवश्य कर लेना चाहिए। संपर्क करें ज्योतिस सत्यनारायण जांगिड़
हस्ताक्षर बदल कर चढ़े सफलता की नई सीढ़ी
बार-बार बिजनेस बदलना या नौकरी बदलना बहुत कष्टदायी होता है। क्योंकि इस स्थिति में हम जो अनुभव और सम्पर्क अर्जित करते हैं उसका महत्त्व खत्म हो जाता है। कई बार तो किसी फील्ड में वर्षों का अनुभव बिजनेस या नौकरी बदल जाने से बेकार चला जाता है। फिर से नई शुरूआत करनी होती है। एक दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह सब आपके गलत हस्ताक्षर के कारण भी हो सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि आप अपने हस्ताक्षरों का किसी विशेषज्ञ से अवलोकन अवश्य करवाएं। जिन प्रिय सज्जनों को बहुत प्रयास के बाद भी जीवन में सम्मान और पद नहीं मिल रहा हो उन्हें अपने हस्ताक्षरों का अवलोकन अवश्य करना चाहिए। यदि हम हस्ताक्षर सकारात्मक कर लेते हैं तो सफलता निश्चित रूप से मिलती है, इसमें कोई शंका नहीं है। हालाँकि हस्ताक्षर बदल लेने के बाद कम से कम 1 वर्ष तक का समय लग सकता है। धीरे धीरे जीवन में सफलता मिलने लगती है।
कैसे और क्या करें सुधार
– सबसे पहली बात तो यह समझ लें कि आप इस बात की परवाह कभी नहीं करें कि दूसरे लोग अपने हस्ताक्षर कैसे करते हैं। दूसरों से आपको कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए। प्रायः देखा जा रहा है कि नई पीढ़ी दूसरों के हस्ताक्षरों की नकल करती है। विशेष तौर पर समाज में जो लोग सफल हो जाते हैं उनके हस्ताक्षरों की नकल की जाने लगती है। जब कि ऐसा करना आत्मघाती होता है। इसका सबसे बड़ा नुकसान तो यह होगा कि इससे आपका व्यक्तित्व नकारा हो जायेगा। संपर्क करें ज्योतिस सत्यनारायण जांगिड़
– दूसरी स्थिति प्रायः यह देखी जाती है कि आप जो हस्ताक्षर करते हैं उससे आपके नाम की पहचान होना बहुत मुश्किल हो जाता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एक सकारात्मक हस्ताक्षर वही होता है जिसमें आपके नाम को स्पष्ट रूप से पढ़ा जा सके। यदि आपके हस्ताक्षर में आपका नाम पहचानने योग्य नहीं है, तो वह हस्ताक्षर आपको अपनी एक व्यक्तिगत पहचान प्रदान नहीं कर पाएगा।
– अगर आप अपने हस्ताक्षर के नीचे एक रेखा खींचते हैं, तो ध्यान रखें कि वह रेखा कभी भी ऊपर के अक्षरों को न छुए।
– पहले अक्षर को बड़ा रखा जा सकता है, लेकिन यह सुनिश्चित करें कि वह बाद के अक्षरों से कभी कटे नहीं।
– हस्ताक्षर की दिशा हमेशा ऊपर की ओर होनी चाहिए, नीचे की ओर नहीं।
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